We have all been criticising about what is not being done by the government. However, we rarely give our own solutions to any problem that we see. May be the suggestion is ridiculous - but still if we look things in a positive way may be we can suggest solutions which some one can like and decide to implement. I know this is very wishful thinking but this is surely better than just criticising.

Friday, October 18, 2024

औसतन उम्र बढ़ रही है, इसे स्वस्थ भी रखे

एक तरफ तो हम खुशी मना रहै है कि हमारी औसतन उम्र बढ़ रही है, पर इसका दूसरा पहलू यह है कि बिरला ही कोई परिवार ऐसा मिलेगा जिसके घर में कोई अस्वस्थ न हो। परिवार के किसी न किसी सदस्य, खास कर बुजुर्ग, को अक्सर डॉक्टर या हॉस्पिटल का रूख करना ही पडता हैं। महंगी दवाइयां, डॉक्टर्स की फीस, अस्पताल का खर्च, मेडिकल इंश्योरेंस के होते हुए भी, इन सबका असर हमारे घर के बजट पर बहुत भारी पड़ता है।

1947, में जब भारत आजाद हुआ था, हम भारतियों की औसतन उम्र केवल 32 वर्ष थी। आज के नौजवान तो शायद इस तथ्य पर विश्वास ही न करे। हां, 2020 के उपलब्ध डाटा के अनुसार हमारी यह औसतन उम्र बढ़कर 67.2 वर्ष हो गई है। सवाल उठता है कि हमारी उम्र तो बढ़ रही है पर इस बढ़ती उम्र को स्वस्थ रखना, जिसे ‘हेल्थी एजींग’ भी कहते है, का हम कितना ध्यान रखते है।

भारत सरकार और भारत में डब्ल्यूएचओ कंट्री ऑफिस द्वारा संयुक्त रूप से 60 वर्ष और उससे अधिक आयु की बुजुर्ग आबादी के एक अध्ययन से पता चला है कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, एनीमिया, गठिया, गिरना/फ्रैक्चर, आंत संबंधी शिकायतें, अस्थमा, आदि जैसी बीमारियाँ आम हैं। बुजुर्गों के लिए विशेष सुलभ स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता को पहचानते हुए, भारत सरकार ने विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनमें राष्ट्रीय बुजुर्ग स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम (एनपीएचसीई) और वृद्ध व्यक्तियों के लिए एकीकृत कार्यक्रम जैसे आयुष्मान भारत शामिल हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रणाली में वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष और उससे अधिक आयु) को स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करना और लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा को और बढ़ाना है।

कुछ ही दिनो पहले प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रमुख योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के तहत आय की परवाह किए बिना 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ्य कवरेज को मंजूरी दे दी है। इसका लक्ष्य 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों वाले लगभग 4.5 करोड़ परिवारों को पारिवारिक आधार पर 5 लाख रुपये के मुफ्त स्वास्थ्य बीमा कवर से लाभान्वित करना है। इस मंजूरी के साथ, 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के सभी वरिष्ठ नागरिक, चाहे उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति कुछ भी हो, एबी पीएम-जेएवाई का लाभ उठाने के पात्र होंगे। वरिष्ठ नागरिकों को एबी पीएम-जेएवाई के तहत नया विशिष्ट कार्ड जारी किया जाएगा। एबी पीएम-जेएवाई के तहत पहले से ही कवर किए गए परिवारों के 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को अपने लिए प्रतिवर्ष ₹5 लाख तक का अतिरिक्त टॉपअप कवर मिलेगा। 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के अन्य सभी वरिष्ठ नागरिकों को पारिवारिक आधार पर प्रति वर्ष ₹5 लाख तक का कवर मिलेगा।

वरिष्ठ नागरिको के लिए बनाई गई ये विषेश योजनाओ से लाभ तो बहुत मिलेगा, पर हमारा उद्देश्य तो यही होना चाहिए कि हम बीमार कम से कम हो। घर में इतनी बीमारी रहने के बहुत कारण है। पारिवारिक परिस्थिति को देखते हुए इनमे से कुछ पर हम अपना ध्यान आकर्षित करते है।

हमारी लाइफ स्टाइल में बहुत बदलाव आ गया है। इसके कारण, अलग अलग व्यक्तियों के लिए विभिन्न हो सकते हैं। किसी को दिन भर कुर्सी पर बैठ कर काम करना पड़ता है तो किसी को रात भर। किसी को ट्रेवलिंग बहुत करनी पड़ती हैं, तो किसी को घर से ऑफिस आने जाने में ही घंटो लग जाते है और रास्ते में जो पॉल्यूशन झेलना पड़ता है उससे भी स्वास्थ्य पर बहुत नकारात्मक प्रभाव होता है। ये आज काम में इतने व्यस्त रहने वालो की जब उम्र बढ़ेगी तो अस्वस्थ रहना स्वाभाविक होगा।

हमारे खान-पान पर तो जितनी भी बात की जाए कम होगी।पैदावर बढ़ाने के लिए केमिकल फर्टिलाइजर्स का अधिक उपयोग, हर सामग्री में मिलावट चाहे दूध, पनीर, घी, तेल, दाल आदि कुछ भी हो। नदियों मे शहरी गंदगी, कारखानो के केमिकल्स का निष्पादन से पानी जो हम उपयोग करते है वो पीने लायक नहीं होता है और अंततः फिर उस पानी में केमिकल्स का उपयोग कर पीने के लायक बनाते है। हमारे कई बुजुर्ग साथियो को याद होगा जब वो नदी किनारे बालू के बीच से ही पानी को हाथ में लेकर पी लेते थे। बीमारी का एक कारण तो यह भी है कि अपने को ईलाज के लिए जो दवाईयां दी जाती है, उसके ही साइड एफेक्ट्स बहुत होते है।

डब्ल्यूएचओ के डाटा के अनुसार भारत में सत्तर वर्ष से ज्यादा आयु की आबादी 2023 में 6 करोड़ थी, जो कि 2050 में बढ़कर 16.79 करोड़ हो जाएगी। इनमे अगर केवल अस्सी वर्ष से बड़ो की बात करे तो, इस डाटा के अनुसार जहां 2023 में इस उम्र के डेढ़ करोड़ व्यक्ति थे वो 2050 में कोई पांच करोड़ उनसठ लाख होंगे। (https://data.who.int/countries/356)। 

भारतियों की औसतन उम्र तो जरूर बढ़ रही है पर हम कैसे इस बढ़ती उम्र में स्वस्थ रहें, खुश रहें, बीमारियो से दूर रहे, यह निर्भर करेगा हमारे रहन-सहन पर, हमारे खान-पान पर। 

योग, व्यायाम, खुली हवा में पैदल भ्रमण सभी को नियमित करना चाहिए। बिना केमिकल के उपजाई गई खान-पान की वस्तुओ का ज्यादा उपयोग, ताजा फल व सब्जी का भरपूर उपयोग वगैरह से हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य का थ्यान रख सकते है। और इसिके साथ हमे अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखना होगा। खुश रहे, बात बात पर गुस्सा न हो, सकारात्मक विचार रखे, सभी से अच्छे संबंध बना कर रखे, दोस्त मंडली के साथ खूब हंसी-मजाक करे, वगैरह। यह सब हेल्थी एजींग में सहायक होंगे। उम्र तो हर पल बढ़ रही हैं, हमे इसे स्वस्थ रखना है।

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