अभी हाल ही में एक
अखबार की हेडलाइन में पढ़ने को मिला कि अकेले भारत में सड़क दुर्घटनाओं में हर 3
मिनट में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। इस समाचार ने सड़क दुर्घटनाओं के कारण
अकेले 2022 में हमारे देश में 1,68,000 मौतों का
एक चौंका देने वाला आंकड़ा दिया। दैनिक समाचार पत्र पढ़ें और आपको अपने शहर में,
या राजमार्गों पर या पहाड़ों में किसी न किसी दुर्घटना की खबर पढ़ने को मिल जाएगी।
यहां तक कि हाल ही
में देशों के बीच हुए युद्धों या प्राकृतिक आपदाओं में भी मौत के इतने ऊंचे आंकड़े
नहीं देखे गए हैं। सड़कों पर मौतें हमारी वजह से होती हैं और इन्हें टाला जा सकता
है।
यह ऐसी चीज़ है
जिसके लिए सरकार को दोष नहीं दिया जा सकता। दरअसल, जब हम कुछ साल पहले से
तुलना करते हैं तो सड़कें बहुत अच्छी हो गई हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग और
एक्सप्रेस-वे वास्तव में इतने अच्छे हो गए हैं कि हम निर्धारित सीमा से कहीं अधिक
गति पर वाहन चलाने की छूट लेते हैं। बेहतर कारों ने तेज़ गति से गाड़ी चलाने की इस
इच्छा को और बढ़ा दिया है।
एक समाज के रूप में हम इस मुद्दे के समाधान के लिए क्या कर सकते हैं। हम सिर्फ लापरवाही के कारण कीमती जिंदगियों को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते। कल्पना कीजिए कि परिवार का एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति अपने दोपहिया वाहन पर घर वापस जा रहा था, उसे पीछे से एक तेज रफ्तार वाहन ने टक्कर मार दी और वह तुरंत अपनी जान गवां बैठा। उसका तो पूरा परिवार बिखर गया, और कोई भी मुआवजा इस नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता।
शराब पीकर गाड़ी चलाना और गाड़ी चलाते समय नींद की कमी के कारण झपकी आना, सड़क दुर्घटनाओं के दो प्रमुख कारण हैं। तेज़ रफ़्तार एक और कारण है। हम और भी कई कारणों के बारे में जानते हैं। हम समस्याओं को जानते हैं। हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि समस्या का समाधान कैसे किया जाए। और केवल सरकारी हस्तक्षेप कभी भी पर्याप्त नहीं होगा।
स्कूल, कॉलेज, सव्यं-सेवी संस्था, सोशल क्लब या कहें कि जहां भी संभव हो, यह चर्चा का विषय होना चाहिए और हममें से प्रत्येक को स्थिति की गंभीरता को समझने के लिए नए नए तरीके ईजाद करने चाहिए। हमें इस मुद्दे का समाधान शुरू करने के लिए अपने परिवार में किसी दुखद घटना के घटित होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। हमें आज से ही सक्रिय होना चाहिए और इस जागरूकता को फैलाना चाहिए।
स्कूलों के लिए एक विशेष विषय तैयार किया जा सकता है और एनसीईआरटी बहुत सारे ग्राफिक्स के साथ विशिष्ट किताबें बनाने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। शिक्षा मंत्रालय के ऐसे हस्तक्षेप की प्रतीक्षा न करते हुए, स्कूल अपने तरीके से छात्रों को सुरक्षित ड्राइविंग सिखाना शुरू कर सकते हैं। तेज गति से वाहन चलाने वाले, शराब पीकर वाहन चलाने वाले, यातायात नियमों का पालन न करने वाले आदि अभिभावकों के रवैये को बदलने में छात्र बहुत सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। जागरूकता पैदा करने के लिए चित्रकला प्रतियोगिता, वाद-विवाद, नाटक का आयोजन किया जा सकता है। छात्रों को सड़क दुर्घटनाओं और जीवन हानि पर समाज के बीच अभियान चलाने के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है। कुछ स्मार्ट छात्र डिजिटल क़ॉन्टेन्ट भी बना सकते हैं जिन्हें स्कूली छात्रों और उनके अभिभावकों के बीच प्रसारित किया जा सकता है।
कॉलेजों के लिए, जहां छात्रों का आयु वर्ग सही लक्ष्य है जिसे छूना है, सेमिनार, चर्चा, नाटक आदि विकसित किए जा सकते हैं। आज के युवा रील और वीडियो बनाने में बहुत अच्छे हैं, उन्हें बहुत दिलचस्प दृश्य बनाने चाहिए जो दर्शकों को आकर्षित करें और सही पाठ तैयार करें। वे अपने तरीके से ऐसे जागरूकता वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर लाखों लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
गैर सरकारी संगठन और अन्य सामाजिक संगठन भी यहां प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। हमारे पास रोटरी, लायंस, जेसीज़ और बहुत सारे सामुदायिक क्लब हैं, जो समाज के लिए काम करते रहते हैं। मानव जीवन बचाने के लिए इससे बेहतर कार्य क्या हो सकता है। आज, हमारे पास शहरी क्षेत्रों में बड़े आवासीय परिसर हैं और यहां आरडब्ल्यूए इस जागरूकता अभियान का जिम्मा खुद उठा सकते हैं।
इस विषय को जनमानस तक पहूंचाने में एक अन्य महत्वपूर्ण माध्यम धार्मिक प्रवचन हो सकते हैं, विशेष रूप से वे जो युवाओं को आकर्षित करते हैं। हाल के वर्षों में कई अच्छे वक्ता सामने आए हैं जिनके बहुत अच्छी संख्या में अनुयायी हैं। न केवल लोग ऐसे प्रवचनों में शामिल होते हैं, बल्कि तकनीक की मदद से अच्छे लोगों के प्रवचन फेसबुक, यूट्यूब और व्हाट्सएप पर वायरल हो जाते हैं। अगर ये नामचीन लोग सुरक्षित ड्राइविंग की बात करने लगेंगे तो दर्शकों तक संदेश प्रभावी ढंग से पहुंचेगा।
राजमार्ग मंत्रालय को अपनी ओर से संचार के लिए बजट में पर्याप्त वृद्धि करनी चाहिए। संचार के लिए सभी उपलब्ध साधनों का उपयोग किया जाना चाहिए, चाहे वह पारंपरिक प्रिंट मीडिया हो, टीवी हो या सोशल मीडिया हो। यदि युवा लिंक्डइन और इंस्टाग्राम के प्रति अधिक आकर्षित हैं तो हम उनका उपयोग करें, यदि ट्रक व बस के चालक ढाबों का बहुत अधिक उपयोग करते हैं तो हम उन ढाबों का उपयोग करें, हम एफएम पर बजने वाले जिंगल बनाएं जिन्हें ड्राइवर गाड़ी चलाते समय सुनते हैं।
हम सड़क पर हर तीन मिनट में एक व्यक्ति को मरने नहीं दे सकते। और हम इस मुद्दे पर सो नहीं सकते। हमें जागना होगा। यदि और कुछ नहीं, तो कम से कम आप प्राप्त होने वाले किसी भी संदेश को अग्रेषित करें जो सड़क सुरक्षा से संबंधित हो।
To read this in English click https://vijaymaroo.blogspot.com/2023/10/saving-lives-on-roads.html