We have all been criticising about what is not being done by the government. However, we rarely give our own solutions to any problem that we see. May be the suggestion is ridiculous - but still if we look things in a positive way may be we can suggest solutions which some one can like and decide to implement. I know this is very wishful thinking but this is surely better than just criticising.

Thursday, July 10, 2025

जीते जी प्रशंसा करिए, केवल विदाई पर नहीं

हमारा समाज एक विचित्र मनोवृत्ति से ग्रसित है — हम अक्सर किसी की अच्छाई तब ही खुलकर कहते हैं जब वह व्यक्ति हमारे बीच नहीं रहता। शमशान घाट या श्रद्धांजलि सभाएं — ये वो जगहें बन गई हैं जहां हम किसी के जीवन की महानताओं का उल्लेख करते हैं, उनके गुणों को सराहते हैं, और यह कहते नहीं थकते कि वह कितने नेक इंसान थे।
घाट पर अक्सर समूह में लोग बैठकर यही चर्चा करते हैं – “बहुत सज्जन थे, हर किसी की मदद को तत्पर रहते थे, परिवार का ख्याल रखते थे, समाज सेवा में भी आगे रहते थे…” और न जाने कितनी बातें। लेकिन यही सवाल अगर हम खुद से पूछें — क्या जब वह व्यक्ति जीवित थे तब भी हमने उनके इन गुणों की सराहना की थी? क्या कभी उनके सामने कहा था कि हम उनका कितना सम्मान करते हैं, या उनका व्यवहार हमें कितना प्रेरित करता है?

सच कहें तो अक्सर जवाब “नहीं” होता है। हम प्रशंसा करने में कंजूसी करते हैं। कहीं यह अहं का विषय बन जाता है, कहीं संकोच आड़े आ जाता है, तो कहीं यह सोच कि “इतनी भी क्या प्रशंसा करनी?” लेकिन जब व्यक्ति इस संसार को छोड़ जाते है, तब हम उनकी तारीफ में कसीदे पढ़ने लगते हैं। सोचिए, इन शब्दों से उस व्यक्ति को क्या लाभ? वह तो इन शब्दों को सुनने के लिए अब नहीं रहा।

प्रशंसा की शक्ति:

हर इंसान के भीतर एक बच्चा होता है जो चाहता है कि उसे सराहा जाए, उसके प्रयासों को पहचाना जाए। प्रशंसा करना केवल शब्दों का खेल नहीं है, यह एक सजीव ऊर्जा है जो किसी के आत्मविश्वास को नई उड़ान देती है। अगर किसी ने अच्छा काम किया है, या उनके व्यवहार में कोई सुंदरता है — तो क्यों न उसे जीते जी यह कह दिया जाए?

जरा सोचिए, जब कोई हमें कहता है, “आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं”, तो हमें कितना अच्छा लगता है। दिल खुश हो जाता है, मन उत्साहित हो जाता है और हम और बेहतर करने की प्रेरणा पाते हैं। यही प्रभाव तब और अधिक होता है जब कोई हमारे गुणों की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा करता है। इससे न केवल वह व्यक्ति आनंदित होता है, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक लहर फैलती है।

प्रशंसा करने की संस्कृति को अपनाइए:

हमें यह समझना होगा कि प्रशंसा करने से कोई छोटा नहीं होता, बल्कि यह हमारे बड़े दिल और विशाल सोच का प्रमाण है। जब हम दूसरों के गुणों को खुले दिल से स्वीकारते हैं, तो हम एक बेहतर समाज की ओर कदम बढ़ाते हैं। ऐसे समाज की ओर, जहां प्रतिस्पर्धा की जगह प्रेरणा हो, ईर्ष्या की जगह सम्मान हो।

प्रशंसा करने का मतलब केवल शब्दों में कुछ अच्छा कह देना नहीं है — इसका तात्पर्य है कि हम किसी के अच्छे कार्यों को मान्यता देते हैं, उन्हें उनके जीवन में ही उनके योगदान के लिए सम्मानित करते हैं। यह सम्मान उनके आत्मबल को मजबूत करता है और उन्हें और भी अच्छा करने की प्रेरणा देता है।

सराहना करने से उपजता है सद्भाव:

जब आप किसी की सच्ची प्रशंसा करते हैं, तो आपके और उस व्यक्ति के बीच एक आत्मीयता पनपती है। यह संबंध केवल औपचारिक नहीं होता, बल्कि दिल से दिल का संबंध होता है। ऐसे संबंधों की बुनियाद होती है – समझ, प्रेम और परस्पर आदर।

सच्ची प्रशंसा वह संजीवनी है जो न केवल आत्मा को प्रफुल्लित करती है, बल्कि व्यक्ति को और बेहतर करने की प्रेरणा भी देती है। जब किसी के प्रयासों को ईमानदारी से सराहा जाता है, तो उसे अपने कार्य में मूल्य और उद्देश्य दिखाई देने लगता है। यह प्रशंसा आत्मविश्वास को बल देती है, थके कदमों को गति देती है और नए सपनों को आकार देती है। सच्चे शब्दों की यह ऊर्जा व्यक्ति को न केवल वर्तमान में उत्कृष्टता की ओर अग्रसर करती है, बल्कि भविष्य में और ऊंचाइयों को छूने का साहस भी प्रदान करती है।
यह भी समझिए कि आपकी कही गई एक सकारात्मक बात, किसी के मन से निराशा का अंधेरा मिटा सकती है। वह व्यक्ति अगर किसी संघर्ष से गुजर रहा है, तो आपकी एक सच्ची प्रशंसा उसे जीवन की ओर लौटने का हौसला दे सकती है।

एक विनम्र आग्रह:

तो आइए, आज से ही यह संकल्प लें कि हम उन लोगों की प्रशंसा करेंगे जिनसे हम प्रभावित हैं — चाहे वे हमारे सहकर्मी हों, परिवारजन, मित्र, या कोई साधारण व्यक्ति, जिनकी कोई साधारण सी बात भी हमें छू जाती है।

मरने के बाद की गई प्रशंसा उस व्यक्ति तक नहीं पहुंचती। लेकिन जीते जी की गई तारीफ़ एक अमिट छाप छोड़ जाती है – न केवल सुनने वाले के हृदय में, बल्कि कहने वाले की आत्मा में भी। ध्यान रहे कि यह प्रशंसा या अभिनंदन आज करनी है, कल‌ पर न छोड़ें।

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