We have all been criticising about what is not being done by the government. However, we rarely give our own solutions to any problem that we see. May be the suggestion is ridiculous - but still if we look things in a positive way may be we can suggest solutions which some one can like and decide to implement. I know this is very wishful thinking but this is surely better than just criticising.

Thursday, December 19, 2024

डिजिटल एरेस्ट का वरिष्ठजन पर मंडराता खतरा

ऑनलाइन फ्रॉड की चर्चा बहुत दिनो से सुनते आ रहे हैं। बहुत से लोगो से करोड़ो रुपये ये फ्रॉड करने वाले जालसाज बैंक एकाउंट से उड़ा ले गए। झारखंड का जामताड़ा और हरियाना का नूह इस ऑनलाइन फ्रॉड करने के केंद्र के रूप में बहुचर्चित हो गया। यह सिलसिला रूकने का नाम भी नहीं ले रहा था कि अब एक नये रूप में आपके मोबाइल पर ऐसी धोखाधड़ी सामने आ गई है जिसे “डिजिटल एरेस्ट” का नाम दिया गया है।

डिजिटल एरेस्ट करने वाले धोखेबाज अपने-आप को सी. बी. आई., आर. बी. आई., पुलिस, इन्कम टैक्स या नशीले पदार्थ की रोकथाम में लगे अधिकारी, जैसे विभाग, की ओर से बात करते है। वो पहले से आपके विषय में बहुत जानकारी एकत्र कर लेते है – आपके परिवार, मित्रगण, व्यवसाय, आदि से सम्बन्धित। ये जालसाज अपनी बात बहुत विश्वास और धमकाने वाले अंदाज से करते है।

वीडियो कॉल पर तो ये जालसाज पुलिस या अन्य सरकारी युनिफॉर्म में नजर आएंगे और बैकग्राउंड में सरकारी दफ्तर दिखाई देगा। बिल्कुल ऐसा लगेगा कि वो सही सही उसी विभाग से बोल रहे हैं।  आपको धमकाया जाएगा की आपने यह गलत काम किया है जिसके लिए आपको जेल हो सकती है और आपका समाज में बहुत नाम खराब हो जाएगा। इससे बचने के लिए वो आपसे रुपये की मांग करेंगे।

ऐसी धोखाधड़ी में बुजुर्ग व्यक्ति ज्यादा शिकार हो रहे है। टेक्नोलॉजी की समझ कम होना, जल्द किसी की बातो में आ जाना और उम्र के इस पड़ाव में ऐसी धमकी भरी बातो से घबरा जाना आम बात है। कुछ ही सप्ताह पहले एक बहुत ही प्रतिष्ठित बिजनेस ग्रुप के 82 वर्षीय सीईओ से ऐसे साइबर जालसाज ने सात करोड़ रुपये ठग लिए थे।

डिजिटल एरेस्ट धोखाधड़ी का एक उदाहरण यहां देना चाहूंगा। एक लड़की का वीडियो कॉल आता है, आप रिस्पॉन्स देते है, कुछ अनाप-शनाप बाते होती है जिसे उस लड़की ने रिकॉर्ड कर लिया है। लाइन काट दी जाती है। आप निश्चिंत हो जाते है। पर अगले दिन सुबह एक पुरुष का फोन आता है और वह अपने को पुलिस का उच्च अधिकारी बताता है। वह कहता है कि कल आप एक लड़की से अश्लील बात कर रहे थे, सारी रिकॉर्डिंग हमे मिली है। आपको इस अपराध के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है। इसे हम यूट्यूब पर पोस्ट भी कर देंगे। आपकी समाज में बहुत बदनामी होगी। इससे बचना है तो इतने रूपये तुरंत भेजे। ऐसे अनेक केस सामने आए है।

एक और उदहारण – आपको फोन आएगा कि आपके नाम विदेश से एक पैकेट आया हैं और उसमे जांच के दौरान ड्रग्स पाया गया है। फोन करने वाला व्यक्ति अपने को नारकोटिक्स विभाग का सीनियर इन्सपेक्टर बता कर रुपये देकर मामले को सुलझाने की बात करेगा। इसी तरह अनेकानेक तरिके से फंसाने का प्रयास जालसाज कर रहे हैं।

स्थिति इतनी खराब हो गई है कि प्रधान मंत्री तक को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। उन्होंन अपनी “मन की बात” के 115वीं कड़ी, जो कि 27 अक्टूबर को प्रसारित हुई थी, में इसकी चर्चा विस्तार से की। उन्होंन कहां कि ऐसे कॉल से किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है, कारण कोई भी जांच एजेन्सी फोन या वीडियो कॉल पर इस तरह पूछताछ कभी नहीं करती है।

प्रधान मंत्री ने डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण की बात की। इसे समझाते हुए उन्होंन कहा कि ये तीन चरण हैं – ‘रुको-सोचो-एक्शन लो’ । कॉल आते ही, ‘रुको’ – घबराएं नहीं, शांत रहें, जल्दबाजी में कोई कदम न उठाएं, किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें, संभव हो तो स्क्रीनशॉट लें और रिकॉर्डिंग जरूर करें । इसके बाद आता है, दूसरा चरण, ‘सोचो’ । कोई भी सरकारी विभाग फोन पर ऐसे धमकी नहीं देती, न ही वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है, न ही ऐसे पैसे की मांग करती है। और तीसरा चरण है – ‘एक्शन लो’ । राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर डायल करें, cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें, परिवार और पुलिस को सूचित करें, सबूत सुरक्षित रखें । ये तीन चरण आपकी डिजिटल सुरक्षा का रक्षक बनेंगे।

प्रधान मंत्री ने दोहराया कि डिजिटल एरेस्ट जैसी कोई व्यवस्था कानून में नहीं है। ये सिर्फ फ्रॉड है, फरेब है, झूठ है, बदमाशों का गिरोह है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वो समाज के दुश्मन हैं । उन्होंन आश्वासन दिया कि डिजिटल एरेस्ट के नाम पर जो फरेब चल रहा है, उससे निपटने के लिए तमाम जांच एजेंसियाँ, राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं । इन एजेंसियों में तालमेल बनाने के लिए नेशनल साइबर कोऑर्डिनेशन सेन्टर की स्थापना की गई है। नागरिकों से सहयोग का आग्रह करते हुए उन्होंन कहां कि इस धोखाधड़ी से बचने के लिए बहुत जरूरी है हर नागरिक की जागरूक होना। जो लोग भी इस तरह के फ्रॉड का शिकार होते हैं, उन्हें ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को इसके बारे में बताना चाहिए। मुहिम में छात्रों को भी जोड़ने का आग्रह किया। समाज में सबके प्रयासों से ही इस चुनौती का मुकाबला किया जा सकता हैं।

वरिष्ठजन घर पर छोटो से अपने स्मार्टफोन के विषय में ज्यादा से ज्यादा जानकारी लेने का प्रयास करे। उन्हें किसी भी अनजान नंबर से फोन आने पर रिस्पॉन्स नहीं करना चाहिए। जरूरत लगे तो आप उस नंबर पर मैसेज दे कि आप अभी व्यस्त है और वो कॉल करने वाला आपको मैसेज द्वारा अपना काम बताए। मोबाइल पर अंजान नंबर से अगर कोई लिंक आता है तो उसे क्लिक न करे। व्यक्तिगत जानकारी या बैंक के डिटेल्स किसी से भी साझा न करे। ये छोटी छोटी सावधानियां आपको इस तरह के स्केम से बचाने में सहयोग करेगी। 

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