We have all been criticising about what is not being done by the government. However, we rarely give our own solutions to any problem that we see. May be the suggestion is ridiculous - but still if we look things in a positive way may be we can suggest solutions which some one can like and decide to implement. I know this is very wishful thinking but this is surely better than just criticising.

Tuesday, December 20, 2022

अनावश्यक खर्च से बचे

पिछले कुछ दिन से सोशल मीडिया पर एक छोटी सी वीडियो वायरल हो रही है जिसका शीर्षक है महंगाई नहीं, खर्च बढ़ गए हैं

 

इस वीडियो ने हम सबको आईना दिखाया है या दूसरे शब्दों में कहें तो एक विभिन्न दृष्टिकोण से अवगत कराया है। इस वीडियो ने हमारा ध्यान उन अनावश्यक खर्चों की ओर दिलाया है जिनके बिना भी हम सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

 

रेस्तरां में भोजन करना कितना मनभावन विचार है लेकिन क्या आपने बिल देते समय ये सोचा कि ये कितना मंहगा व्यवहार है? इसे एक उदाहरण के माध्यम से दर्शाया गया है।

 

बाहर भोजन करने से न सिर्फ अत्यधिक व्यय होता है, आपके स्वास्थ पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। कई बार बाहर खाने से होने वाले इंफेक्शन हमें डॉक्टर से भेंट का कारण भी दे देते हैं। इस प्रकार ओवर आल कॉस्ट बहुत ज्यादा पड़ जाती है।

 

ऐसा भी होता है कि परिवार मे, किसी न किसी का, बाहर खाने के पश्चात पेट गडबड हो जाता है। बाहर खाना बनाने में किस तेल का और किस क्वालिटी स्टैंडर्ड का उपयोग किया गया है इस पर हमारा कोई नियंत्रण नही होता। हां, हम एक अलग वातावरण में लुफ्त जरूर उठाते हैं जिसका खर्च वहन करते हैं।

 

इस बाहर खाने के कारण कई हो सकते हैं, जैसे कि मूड नहीं है घर पर खाने का या बनाने का, या बनाने वाले का अस्वस्थ होना या दिखावा भी हो सकता हैं। हम यहां इस बात पर ध्यान नहीं देते कि घरेलू बजट के अलावा हमारे स्वास्थ्य पर इसका क्या असर हो रहा है।

 

और भी कुछ उदाहरण दर्शाकर इस वीडियो को बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया गया है जो हमारे आसपास अक्सर दिखता है और रिलेटेबल भी लगता है। यही कारण है कि यह वायरल भी हो रहा है।

 

हम यह भी विचार कर सकते हैं कि आखिर कमा भी तो लाईफ को एन्जॉय करने के लिए कर रहे हैं।

 

अक्सर देखा जा रहा है कि घर पर प्रत्येक व्यक्ति के पास अपना मोबाइल है, और वह भी हर कुछ समयावधि में अपग्रेड किया जाता है। कभी हमने इसका लेखा-जोखा किया है कि केवल मोबाइल पर परिवार में इस वर्ष कितना खर्च किया है? एक बार कर के देखें। आपको शायद तब ध्यान आए कि इस पैसे से तो हम 'यह' भी कर सकते थे।

 

इसी तरह कुछ ज्यादा सम्पन्न वर्ग में परिवार में हर सदस्य के लिए अलग गाड़ी और वह भी नई से नई मॉडल लेने की होड लगी रहती है।

 

आवश्यक खर्च तो जरूरी होता है पर यह निर्णय लेना की इस 'आवश्यक' की सीमा कहां तक स्ट्रेच कर सकते हैं, इसको निश्चित करना ही कठिन काम है।

 

हम विपरीत समय के लिए क्या सेविंग कर रहे हैं इस पर भी ध्यान देना चाहिए।

 

एक और बहुत आवश्यक बात ध्यान देने योग्य है कि अगर हम कमा रहे हैं तो हम अपनी कमाई से उस कमजोर वर्ग, जिन्हें दो वक्त का भोजन मिलने भी कठीनाई हो रही है, या उन बच्चो को जिन्हें पढ़ाई करने के लिए धनराशि चाहिए, वह उपलब्ध कराए। सेवा के और भी बहुत अवसर है, बस मन होना चाहिए।

 

जब हम किसी असहाय की सेवा करते है तब हमारे मन को बहुत सुकून मिलता है। मन प्रसन्न होता है। और यह सब हमारे स्वास्थ्य के लिए किसी स्वास्थप्रद टॉनिक से कम नहीं। विचार किया जाए तो सेवा करने से लाभ हमें ही मिलता है।

 

ऐसे उदाहरण भी हम सबके सामने नजर आते हैं जहां केवल दिखावे के लिए अनाप-शनाप खर्च कर दिया जाता है। कई लोग तो यह दिखावा उधार लेकर करने में भी नहीं संकोच करते हैं। इन सब एक्शन में आसानी से उपलब्ध हो रहे ई. एम. आई. पर लोन मिलने का क्या असर होता है, यह विचारणीय है।

 

महान दार्शनिक चार्वाक का श्लोक मशहूर ही है जिसमें वे कहते हैं:-

 

यावज्जीवेत्सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत् ।

 

(स्रोत: ज्ञानगंगोत्री, संकलन एवं संपादन: लीलाधर शर्मा पांडेय, ओरियंट पेपर मिल्स, अमलाई, म.प्र., पृष्ठ 138)

 

जब तक जीते हो तब तक सुख से जियो।

चाहे ऋण लेकर घी पियो।

 

लेकिन जीवन जीने का ये तरीका भी ठीक नहीं।

 

हम समय पर सचेत हो जाएं तो जीवन में कठिनाईयां कम आएंगी और अपने बच्चो के अच्छे भविष्य के लिए राह आसान कर सकेंगे।

 

तो ये आप तय कीजिये कि आपको अनावश्यक खर्चों में कटौती कर जीवन को सुगम, सरल और सुगंधित बनाना है अथवा चार्वाक सिद्धांत का पालन कर परेशानियों के गर्त में जा पहुंचे विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी की तरह अंधाधुंध खर्च करते जाना है चाहे ऋण लेकर ही सही!!

3 comments:

Anonymous said...

Awesome.

Anonymous said...

You are very correct. One should spend carefully

Anonymous said...

Excellent viewpoint , seldom emphasized