We have all been criticising about what is not being done by the government. However, we rarely give our own solutions to any problem that we see. May be the suggestion is ridiculous - but still if we look things in a positive way may be we can suggest solutions which some one can like and decide to implement. I know this is very wishful thinking but this is surely better than just criticising.

Sunday, January 12, 2025

दादा-दादी की पाती, पोते-पोती के नाम

मेरे प्यारे बच्चों,

बहुत दिनों से तुम सबको एक पत्र लिखने कि सोच रहा था। और कार्यो में व्यस्त होने के कारण कुछ देर हो गई। तुम सोच रहे होंगे कि दादाजी को इतनी व्यस्तता क्या आ पड़ी कि एक पत्र लिखने में इतना समय लगा दिए। तुम्हें जानकर खुशी होगी कि मैं इस आयु में भी अपने आप को खूब बिजी रखता हूं। मैने तो एक अभियान आरंभ किया है – नेवर से रिटायर्ड। हम बुजुर्गो को भी कभी रिटायर होना ही नहीं चाहिए, कुछ न कुछ कार्य में लगे रहना चाहिए तभी हम शारिरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रहेंगे। अच्छा स्वास्थय ही सफलता की सही कुंजी है।

अच्छा चलो, तुम लोगो का सब कुछ कैसा चल रहा है। मम्मी तो तुम्हारी पढ़ाई के पीछे ही पड़ी होगी कि कैसे तुम अपनी क्लास में टॉप थ्री में आओ। और मैं भी यही चाहता हूं कि तुम्हारा अच्छा परफॉर्मेंस होना चाहिए। हां, पढ़ाई के साथ-साथ लाइफ स्किल्स भी जरूर सीखते रहो, आगे बहुत काम आएंगे। एक बात और, अच्छी कम्यूनिकेशन की कला सीखने पर भी विशेष ध्यान देना। जब हम बड़े हो गए और काम करने लगे तब हमें कोई यह नहीं पुछता था कि हम कितने नंबर स्कूल फाईनल में लाये थे – सामने वाला व्यक्ति तो हमारे ज्ञान की परख लेता है और साथ में अगर हमें अपनी बात को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना आ गया तो जीवन में सफलता जरूर मिलेगी।

आज तुम्हें तो घर पर तुम्हारी मम्मी पढ़ाई करवा देती है। हमारे समय में तो हमारे पेरेंट्स कम ही पढ़े-लिखे होते थे। स्कूल की पढ़ाई के अतिरिक्त कुछ पढ़ाई करने के लिए हमें स्कूल के या पड़ोस में रह रहे मास्टरजी के पास ट्यूशन के लिए भेज दिया जाता था। उनसे हमें घरेलू काम और अच्छे संस्कारो की भी शिक्षा मिलती थी। कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए भी बड़े भाई या पड़ोस के परिवार के भैय्या लोगों से सहयोग लेते थे। हममे से कम ही लोग होते थे जो ग्रेजुएशन करने के बाद बहुत ज्यादा पढ़ पाते थे, कारण जीविकोपार्जन करने मे लग जाना जरूरी हो जाता था। इस कारण छोटी आयु में ही पिता जी के साथ दुकान जाना या ऑफिस की शिक्षा दी जाती थी। लेकिन आज, बच्चों तुम्हारे पास बहुत ऑप्शन्स हैं। बहुत सोच समझकर अपने केरियर के विषय में आज से ही विचार करना आरंभ कर देना।

हमलोगों के पास आज जैसी सहुलियत उपलब्ध नहीं होती थी। गाड़ियां भी बहुत कम परिवार में होती थी। स्कूल हमलोग पैदल जाते थे या साइकिल पर बड़े छोड़ आते थे। ट्रेफिक न के बराबर होने के कारण पैदल जाना भी काफी सुरछित होता था और पॉल्यूशन भी परेशान नहीं करता था। तुम सब के लिए तो स्कूल बस आ जाती हैं और कुछ बच्चों को तो उनकी गाड़ी छोड़ने आती है।

आज तुम सबको पॉल्यूशन जो इतना परेशान कर रहा है उसकी थोड़ी-बहुत जिम्मेदारी हम पर जरूर आती है। फिर भी आज की लाइफ स्टाइल ज्यादा जिम्मेदार है। ये जो हम यूज एंड थ्रो का कल्चर अपनाने लगे है, इससे भी एनवायरमेंट बहुत खराब हो रहा है। हमारे समय मैं हम रीयूज पर, रिपेयरिंग कर काम चलाने पर ज्यादा जोर देते थे। आज कोई भी वस्तु की आवश्यकता होती है, ऑनलाइन मंगवा लिया जाता है। इनकी पैकेजिंग में ही कितने डब्बे, थर्मोकोल, प्लास्टिक का उपयोग हो जाता है और इन सबका असर पॉल्यूशन पर निश्चित होता है। तुमने देखा होगा सम्पन्न परिवार में हर सदस्य के लिए अलग गाड़ी होती है। इससे पॉल्यूशन तो बढ़ता ही है, सड़को पर ट्रेफिक का भी बुरा हाल होता है।

तुम सब इतने समझदार हो कि इस पॉल्यूशन से छुटकारा पाने का हल तुम्हें स्वयं ही ढूंढना होगा। इसका दुष्प्रभाव जो सेहत पर पड़ रहा हैं उससे तुम भली-भांति परिचित हो। पिछले सप्ताह ही मैं भारत की राजधानी दिल्ली के विषय में एक समाचार पढ़ रहा था कि वहां की हवा इतनी प्रदुषित हैं जैसे कि एक व्यक्ति कोई चालीस सिगरेट रोज पी रहा हो। स्कूल तक तो बंद करने पड़ गए है। तुम सब को बहुत गहराई से इस समस्या का समाथान ढुंढना होगा। सेहत ठीक रहेगी तभी तो काम कर सकोगे, मस्ती कर सकोगे।

अंत में हमारी ओर से यह सलाह तुम सबको जरूर रहेगी कि अपने से बड़ो का आदर करना बहुत आवश्यक है, फिर वो चाहे स्कूल में तुम्हारे अध्यापक हो या घर पर बड़े बुजुर्ग हो। अपने दोस्तों का चयन भी तुम्हें बहुत सोंच विचार कर करना होगा। अपनो से छोटों का भी पूरा ख्याल रखना और प्यार देना बहुत जरूरी है। अपने रिति रिवाज और संस्कारो को कभी भूलना नहीं चाहिये। सुख और दुख हर परिस्थिति में भगवान का स्मरन बराबर रखना चाहिए।

हम यहीं भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनकी कृपा तुम सब पर सदैव बनी रहें। हमारी ओर से ढेर सारा प्यार व आशीर्वाद।

तुम्हारे दादा-दादी

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